सर्दि ओ के मोसम मैं रनविजय राज समन दर पहुचा समन्दर स्टेशन पर पहुंचते ही उसे रंग बिरंगी पगडियों में सजे आदमी और सतरंगी लहंगा चोली पहने सुंदर औरतें दिखे तो उसके सामने राजस्थानी राजा महाराजाओं और उनके सुंदर रानियों की तस्वीरें खींची गयी
रनविजय :-
हूँ राजसमंद की सर्दी भाई दस बारह डिग्री तो होगा नदी की पानी से उठती भाप सर्दियों की बात ही कुछ और है यहाँ पर जरूरी है डिकोस्टा के महल के बारे में पता चल ही जायेगा
Story man:-
हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा अंधविश्वास इसी इलाके में थे खून पी जाने वाले प्रेत, रात को भेड़िया बन जाने वाले इंसान और न जाने क्या क्या उसे लगा की सफर मजेदार होने वाला है पहाड़ियों से होकर जाने वाले घुमावदार रास्तों ने उसका मन मोह लिया जगह जगह दिखने वाले सुंदर किले के नज़ारे खूबसूरत वादिया जी ले और चालू से टकराकर बहने वाली हवाओं ने उसे जैसे किसी और ही लोक मैं पहु च दीया
रनविजय :-
वाह लगता है किसी परियों के देश में आ गया हो इतनी सुन्दर जगह के बारे में जानें क्यों बेवकूफ होने ये अंधविश्वास फैला ये होंगे रानी के सिवाय हाँ ये है डैनी ने अपनी चिट्ठी में इसी होटल में ठहरने के लिए कहा था
Story man:-
वो एक पुरानी इमारत थी जैसे पुराने वक्त में रजवाड़ों के कोतवाल या मंत्रियों की कोठियां हुआ करती थी उसे ताँगे से उतरते ही एक बूढ़ी औरत निकल कर सामने आयी
बूढीऔरत;-
कामाग्नि जासा
रनविजय :-
हाइ मैं रणविजय
बूढीऔरत;-
आ गए तुम आओ आओ कैसा लगा हमारा राजसमंद तक मैं तारा इंतज़ार कर रही थी आओ आओ तारा कमरा दिखा दूँ अंदर नहाने का गर्म पानी तो लिया सब कुछ है और भी कुछ चाहिए हो तो बोल देना सा हाँ थारे वास्ते ये चिट्ठी मिली थी मरेको
Story man:-
बुढ़िया ने रणविजय को एक लिफाफा थमाया रणविजय ने कमरे में पहुँचकर खुद को बिस्तर पर फेंक दिया और फिर वो चिट्ठी खोली
रनविजय :-
थकान से जान निकल गई देखु क्लाइंट ने क्या लिखा है चार दिसंबर राजसमंद में तुम्हारा स्वागत है दोस्त, मैं बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ कल तीन बजे तुम्हारी रतनगढ़ की यात्रा शुरू होगी रानी की सराय से निकलकर काले घाटी पहुंचना, वहाँ मेरी शाही बग्घी तुम्हारा इंतज़ार कर रही होगी मुझे यकीन है कि तुम्हें ये सफर बहुत अच्छा लगेगा
तुम्हारे इंतजार में तुम्हारा दोस्त डैनी डिकोस्टा
Story man:-
रात रणविजय को बहुत अच्छी नींद आए
सुबह नाश्ता करने के बाद वो आदतन यहाँ की यादों को अपनी डायरी में समेटने लगा
और फिर दिन के खाने के बाद वो अपने आगे एक सफर के लिए तैयार था
रनविजय :-
हाँ आंटी जी तो कितना पैसा हुआ आपका
बूढीऔरत;-
माय को चिट्ठी के साथी कमरे का किराया और हरियाणा जाने के वास्ते घोड़ा गाड़ी का भाड़ा मिल चुका है, ऐसा घोड़ा गाड़ीवाला बस आता ही होगापर ये बताओ की आप ने जाना कट्टे को
रनविजय :-
है, मैं मैं रत्नाकर जा रहा हूँ रतनगढ़
Story man:-
रतनगढ़ का नाम सुनते ही वो अचानक पीली पड़ गई
उसका पैर कांपने लगे
रनविजय :-
क्या क्या क्या हुआ
आप
Story man:-
पर उसकी तो जैसे जी भी अकड़ गयी थी, तब ये घोड़ा गाड़ी पहुँच गई थी घोड़ा गाड़ी वाले ने रणविजय का बैग उठाकर घोड़ा गाड़ी में डाला ही था कि भीतर से वो पुड़िया भागी हुई आई और हाथ जोड़कर रणविजय के सामने खड़ी हो गयी
बूढीऔरत;-
अरे भगवान के वास्ते वहा जाओ को नहीं सा अभी जवानी भी कोनी आयी तेरी ठीक से दुनिया को नी देखी तुमने क्यों इस उम्र में जान देने बे तू रे हो
रनविजय :-
पर हुआ क्या
ये क्या बोल रही है आप
ऐसा क्या है रतनगढ़ में
बूढीऔरत;-
सवाल कौन ईसा सवाल गुणी
बस अगर अपनी माँ को ज़रा भी प्यार किया है याहा से लोट जाओ जाना है तो सुभे चाले जओ
रनविजय :-
ऐसा क्यों है
बूढीऔरत;-
देने नहीं रात जा रात माघ की पूर्णमासी है आज आज की रात बारह बजे गाड़ी घाटी के प्रेत धरती पे उतरे सा
धरती पे उतरे हैं सारे प्रेत
Story man:-
रणविजय ने उसकी बातें समझने की कोशीश की पर घोड़ा गाड़ीवाला इंतज़ार कर रहा था इसलिए वो पलटा और घोड़ा गाड़ी में घुस गया तभी वो बुढ़िया दौड़ी दौड़ी तांगे के पास आयी
बूढीऔरत;-
सुनो सा अगर अपनी माँ से प्यार करते हो तो ये तावीज़ पेहेन लो, ये भूत प्रेत से थारी रक्षा करेगी
रनविजय :-
अरे मैं इन सब बातों में विश्वास नहीं करता
बूढीऔरत;-
मेरी खातिर रख डोसा मैं तारी मा समा न हु दिल रख लें बेटा
Story man:-
रणवीर सिंह बुढ़िया की बात टाल नहीं सका और उसने ताविज पहन ली और उसने बुढ़िया को तावीज अपने गले में डालने दि गाड़ी वाले ने चाबुक चलाई और घोड़ा गाड़ी दौड़ रणविजय ने पीछे पलट कर देखा तो वो भुड़िया अभी भी हाथ उठाए उसे रुकने को बोल रही थी
बूढीऔरत;-
और रुक जाओ सर बड़े मान उस उम्र का कह रहे हो उधर जाओ को नीचे जाओ को नहीं उधर
Story man:-
रणविजय को भुड़िया की बातें उलझन में तो डाल रही थी पर उसे काम भी पूरा करना था उसके बॉस और डैनी के बीच एक बड़ी लैंडी होने वाली थी और इसकी सारी जिम्मेदारी रणविजय पर थीं जिसके लिए उसी रतनगढ़ पहुंचना ही था फिर उसने बुढ़िया के दिए हुए दावे इसको छुआ जाने वो पुड़िया की बातों पर यकीन कर पा रहा था या नहीं पर हाँ वो अंदर से डरा हुआ जरूर था
घोड़ा गाड़ीवाला:-
जे डी में लिखा था , सर की आपको कालीघाटी छोड़ना है जी अब वहाँ उतर के करोगे क्या
रनविजय :-
हाँ जी, वहाँ से मेरे क्लाइंट मिस्टर डैनी डिकोस्टा की तरफ से सवारी आएगी
घोड़ा गाड़ीवाला:-
बहुत खतरनाक जगह सराय काले घाटी प्रेतों की काटी है
Story man:-
प्रेत का नाम सुनकर रनविजय काप उठा रणविजय को समझ में नहीं आ रहा था की तांगेवाले को रत्न घर पहुंचने की ऐसी क्या जल्दी थी वो इतनी रफ्तार पर भी ऐसे तीखे मोड़ काट रहा था की रणवीर छे की जान गले में आ रही थी
रनविजय :-
अरे अरे भाई, ज़रा धीमे चला लो, तांगा पलट करें तो दोनों मर जाएंगे
Story man:-
और टागे वाला तो जैसे बेहरा हो गया था टांगा भगाने का जैसे कोई जुनून सा सवाल था उस पर सूरज ढलने लगा था चिंगुरु की आवाज ने माहौल में सिहरन पैदा कर दी थी
और खपा देने वाली ठंडी चांदनी रात के बीच टांगें के आगे लगी दो लालटेनें रास्ता दिखाने की कोशीश कर रही थी
रनविजय :-
अरे तांगेवाले आपको हुआ क्या है आप क्यों घोड़ों की जान लेने पर तुले हो
घोड़ा गाड़ीवाला:-
सर हमें आधीरात से पहले काली घटी पार करनी है
रनविजय :-
क्यूँ आधीरात के बाद ऐसी क्या आफत आने वाली है काली घाटी में बहुत
घोड़ा गाड़ीवाला:-
मौत का डेरा है काली काटे आज के पूरे चाँद में जो आंधी रात को आ रुक गया, कभी वापस गो नहीं लौटा
रनविजय :-
तो तू कब तक आएगी कालीघाटी
घोड़ा गाड़ीवाला:-
हाँ, हाँ चल चल चल, मेरे बच्चे चल चल देख घोड़ा थम गया, मतलब काली घाटी अब दूर नहीं है, बस कुत्ते यही तक रहे हो
रनविजय :-
क्यों
घोड़ा गाड़ीवाला:-
क्योंकि काली घाटी से भर मनुष्यों का इलाका शुरू हो, वे हाथी रात को भेड़िये बन जाने वाले प्रेतों का रज परथम आगे काटे जा रहे से
रनविजय :-
मुझे रतनगढ़
घोड़ा गाड़ीवाला:-
क्या अरे रतनगढ़
रनविजय :-
क्या हुआ आपको ऐसा क्या है रतनगढ़ में पर उसके
Story man:-
बाद का कोई जवाब नहीं आया
To bee countntine.......
Horror Story in Hindi – डर का सच्चा अहेसास
Reviewed by kbx
on
February 27, 2023
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